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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 12 

जीवन में कैसे कैसे मोड़ आते हैं । तकदीर एकदम से कैसे पलटी मार जाती है, पता ही नहीं चलता है । कल तक जो राजा था वह आज भिखारी बन जाता है और कल तक जिसके पास खाने को दाने नहीं थे वह एक दिन में जमींदार बन जाता है । दिनों का फेर है भैया । सब दिन होत न एक समान । कभी दुख तो कभी सुख । कभी धूप तो कभी छांव । कभी मान, प्रतिष्ठा,  बड़ाई तो कभी माथे पर कलंक का दंश । इसी का तो नाम जिंदगी है । भले और बुरे, अपने और पराए की पहचान भी दुखों के अवसर पर ही होती है । संकट के समय जिसने भी धैर्य धारण किया उसने समझो अपना उद्धार कर लिया और जो संकटों से घबरा गया वह जीते जी अपनी जिंदगी की जंग हार गया । हार जीत का फासला बहुत थोड़ा सा होता है । 

अमावस्या की रात थी । घनघोर अंधेरा था । आसमान में बिजली रह रहकर चमक रही थी जिससे जेल में भी कभी कभी उजाला हो जाता था । लाइट शायद सत्ता के गलियारों में रोशनी बिखेरने चली गई थी । वैसे भी सरकार मान कर चलती है कि जेल में एक दो दिन लाइट नहीं भी होगी तो इससे क्या फर्क पड़ जाएगा ? जिन अपराधियों ने औरों की जिंदगी में अंधेरा ला दिया है तो इन अपराधियों को भी रोशनी से दूर ही रखना चाहिए जिससे इन्हें भी आभास हो जाए कि दूसरों की जिंदगी में अंधेरा करने का परिणाम क्या होता है ? 

बिजली की चमक के थोड़ी देर बाद कड़कड़ घड़घड़ की भयंकर आवाज से जेल भी भय से थर थर कांप उठती थी । जेल की दीवारें बहुत कमजोर होती हैं । हर कोई उन्हें तोड़कर भाग जाता है । हो सकता है कि सरकारें उन्हें जानबूझकर कमजोर बनवाती हो जिससे अपराधी उन्हें तोड़कर भाग जायें क्योंकि इन अपराधियों को कब तक खिलाये सरकारें ? इसलिए सरकार उन्हें भागने का अवसर उपलब्ध करवा देती है शायद  । 

चमगादड़ के झुण्ड इन जेलों में अपना बसेरा बना लेते हैं । जेलों में रहने वाले भी तो चमगादड़ जैसे ही होते हैं शातिर , खून पीने वाले । इसलिए चमगादड़ प्रजाति अपने आपको जेल में बहुत सुरक्षित महसूस करती है । आखिर स्वजनों के मध्य रहकर बढिया सुकून मिलता है न ! पर अनुपमा को इन सबसे बहुत डर लगता था । सांय सांय करती जेल की कोठरी और उस पर यह भयावह अंधेरा । तिस पर चमगादड़ों की भयंकर आवाज ! प्राण कांप उठते हैं ऐसे वातावरण में । जब अंदर और बाहर दोनों जगह अंधेरा हो तो जीवन बोझ लगने लग जाता है । अंधे को अंधेरे का अहसास नहीं होता इसलिए वह अंधेरे में भी मुस्कुराता रहता है । जेल के बाहर शायद कोई अंधा भिखारी गीत गा रहा था । ऐसे माहौल में अंधे भिखारी के अलावा और कौन गाने की हिम्मत कर सकता है ? अंधा भिखारी के गीत के बोल इस प्रकार हैं 

कहते हैं जिसे किस्मत, बड़ी चीज निराली है 
दुख में भी हंसो मेरे यारो, हर रोज दिवाली है 
कहते हैं जिसे किस्मत ।। 

क्या लाया क्या लेकर जाएगा पिंजरा खाली कर जाएगा 
पाप की गठरी बोझिल भारी एक दिन दब के मर जाएगा 
एक दिन दबकर मर जाएगा । 
एक राम नाम तू रट ले ये चीज बड़ी मतवाली है 
दुख में भी हंसो मेरे यारो हर रोज दिवाली है । 
कहते हैं जिसे किस्मत  ।। 

सुख दुख का जोड़ा है यारो आज है दुख तो कल सुख होगा 
धीरज रख ले राम सुमर ले , हिम्मत से हर काम बनेगा 
हिम्मत से हर काम बनेगा । 
दिल है आनंद का एक सागर इसमें ही खुशहाली है 
दुख में भी हंसो मेरे यारो , हर रोज दिवाली है । 
कहते हैं जिसे किस्मत  ।। 

अंधे भिखारी की आवाज में बड़ा दर्द था जैसे वह अपने दर्द को आवाज में उंडेल कर दर्द मुक्त हो जाना चाहता था । एक तो अंधा और उस पर भिखारी फिर भी मस्त मलंग सी जिंदगी जी रहा है । जो व्यक्ति राग द्वेष छोड़ देते हैं वे ही प्रसन्नता के सागर में गोते लगाते हैं । 

अनुपमा जेल की कोठरी में जब भी उस अंधे भिखारी के गीत सुनती थी तो उसे कुछ ढाढस सा बंधता कि लोग इतने दुखों में भी खुश रहने के तरीके ईजाद कर लेते हैं । माना कि उस पर जो लांछन लगाया गया है वह अत्यंत घृणित है मगर जब तक इस लांछन से पीछा नहीं छूटेगा वह किस तरह जिंदा रहेगी ? अपनी ही नजरों में गिरकर न जाने कैसे जी लेते हैं लोग । बेशर्मी का करेले से भी कड़वा रस न जाने कैसे पी लेते हैं लोग ? 

 कितने मजे से गुजर रहे थे उसके दिन । शायद उसके हंसते खेलते जीवन को किसी की नजर लग गई थी । आज उसकी जैसी दुर्गति हो रही थी वैसी दुर्गति तो भगवान किसी की भी ना करे । अनुपमा जेल में बैठे बैठे सोचती थी कि उसकी क्या गलती है ? यदि अक्षत ने उसकी न्यूड पेन्टिंग्स बनाई तो इसमें वह क्या कर सकती है ? क्या उसने कहा था कि वह उसकी पेन्टिंग्स बनाए ? उसे तो पता भी नहीं था कि अक्षत उसकी वैसी पेन्टिंग्स बना रहा है जिसकी कल्पना भी वह नहीं कर सकती थी । वह सोचती कि चलो अक्षत ने उसकी पेन्टिंग्स बना ली, उसके अंगवस्त्र चुरा लिये । यह सब हो सकता है । पर आश्चर्य की बात तो यह थी कि उस बैडशीट पर अक्षत के वीर्य के दाग कैसे पाये गये ? ये दाग कहां से आ गये थे उसकी बैडशीट पर ? क्या उस रात अक्षत किसी लड़की के साथ सोया था ? यदि हां तो उसने अपना कमरा क्यों नहीं काम में लिया ? मेरा कमरा ही क्यों यूज किया उसने ? क्या उसके साथ अक्षत कोई षड्यंत्र कर रहा है ? उसे फंसाना चाहता है शायद वह । यह बात सही हो भी सकती है तभी तो उसने ये सारे सबूत तैयार किये हैं । मगर इससे अक्षत को क्या फायदा होने वाला है ? बिना फायदे के कोई भी आदमी कोई काम करता ही नहीं है फिर अक्षत इतना पागल नहीं है कि वह ऐवेंयी ये सब करेगा । कोई भारी षड्यंत्र बना रहा था अक्षत । तभी तो उसने ऐसा किया । 

पर लाश तो राहुल की पाई गई थी घर में । अब ये राहुल कौन था और अक्षत ने इसे क्यों मारा था ? क्या राहुल और अक्षत की कोई पुरानी दुश्मनी थी जिसका बदला अक्षत ने उस रात ले लिया था और अपने संग न केवल उसे फंसा दिया बल्कि बुरी तरह  बदनाम भी कर दिया था । अब तो उसकी विवाहित जिंदगी का "द एण्ड" हो ही गया समझो । अक्षत इतना धूर्त और मक्कार निकलेगा यह उसने सपने में भी नहीं सोचा था । उसके चेहरे से तो मासूमियत टपकती थी मगर वह लोमड़ी से भी ज्यादा चालाक निकला । किसे दोष दे वह ? अक्षत को ? स्वयं को ? या अपने मुकद्दर को ? शायद मुकद्दर को दोष देना ज्यादा सही था । 

सक्षम की स्थिति तो और भी बुरी थी ।  सक्षम सोचता था कि उसकी गलती क्या है ? उसने अनुपमा से विवाह किया क्या यही उसकी गलती है ? वह अनुपमा जिसे उसने अपनी जान से भी ज्यादा प्यार किया था उसी अनुपमा ने उसके साथ इतना बड़ा विश्वासघात किया था । उसके पीछे से वह अक्षत के साथ गुलछर्रे उड़ाती रही और उसे भनक तक नहीं लगने दी । अनुपमा को उसने प्रेम की देवी समझा था मगर वह तो एक चुडैल निकली । उसे मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा उसने । और यह अक्षत ! जी तो चाहता है कि उसका सिर तोड़ दूं मगर न जाने वह है कहां ? किस जेल में सड़ रहा है वह ? वह खुद तो सड़ ही रहा है अपितु उसे भी सड़ा रहा है । शुभम ने भी दोस्ती का कैसा सिला दिया है ?  मेरा घर उजाड़ने के लिए ही अक्षत को भेजा था क्या उसने ? क्या दोस्त ऐसे ही होते हैं, शुभम की तरह ? यदि हां, तो भगवान बचाए ऐसे दोस्तों से । उसे अनुपमा पर थोड़ा सा शक हुआ था जब उसने अक्षत को खाने पर बुलाया था । लेकिन अनुपमा के आंसू देखकर वह पिघल गया था । उसे लगा कि अनुपमा निर्दोष है । पर उसके बाद की घटना ने तो उसे दहला कर रख दिया । बैडशीट पर अक्षत के वीर्य के निशान मिलेंगे, इसकी तो कल्पना ही बहुत भयंकर है । उसी के बैड पर अनुपमा अक्षत के साथ रंगरेलियां मनाएगी, इससे घृणित और क्या हो सकता था ? विश्वास नहीं होता है कि अनुपमा ऐसा करेगी पर जांच रिपोर्ट तो यही कह रही है । "अनुपमा , तू ने यह क्या किया ? मैं तो जीते जी ही मर गया" ।  सोच सोचकर वह फूट फूटकर रोता था । जेल की चारदीवारी में उसकी सिसकियों की आवाज दबकर रह जाती थी । काश ! रोने से तकदीर बदल जाती तो हर इंसान रोकर अपनी तकदीर बदल लेता । हां, रोने से मन का बोझ हलका जरूर हो जाता है । 

अक्षत सोचता था कि "मैंने क्या अपराध किया है ? मैंने मन ही मन अनुपमा भाभी को चाहा था इतना अपराध तो मैंने किया है । पर इसका तो जिक्र भी नहीं किया था मैंने कभी किसी से । माना कि अनुपमा मेरी भाभी लगती हैं पर मेरे दिल को वे भा गईं तो इसमें मैं क्या करूं ? उनके मादक बदन ने मेरे होश उड़ा दिये थे । अब यदि उनकी पेन्टिंग्स बना ली तो क्या गलत किया ? उनका सौन्दर्य है ही ऐसा कि हर कोई उनकी तसवीर बनाना चाहेगा । हां, उनकी कुछ न्यूड पेन्टिंग्स भी मैंने बनाई थीं । मैं उन्हें वैसे देखना चाहता था ।  उस समय मेरे दिल दिमाग में बस अनुपमा भाभी ही छाई हुई थीं तो उनके मांसल सौन्दर्य के नशे में बना दी वो पेन्टिंग्स ।  जो दिमाग में था वह कागज पर उतार दिया । तो इसमें अपराध क्या किया ?  रही बात उनके अंगवस्त्रों की । तो एक दिन वे दोनों अंगवस्त्र उड़कर मेरे दरवाजे पर आ गये थे । मैं ऑफिस से आया तो उन्हें अपने दरवाजे पर मेरा इंतजार करते हुए पाया । मैंने उनका सम्मान रखने के लिए उन्हें अपने कमरे के अंदर ले लिया और बिल्कुल "सुरक्षित" जगह पर रख दिया जिससे किसी और की निगाह उन पर नहीं पड़े । मगर ये अनुपमा भाभी ऐसी निकलेंगी ये नहीं सोचा था मैंने । किसी अजनबी आदमी को बुलाकर उसके साथ सेक्स करेंगी इसकी तो कल्पना भी नहीं की थी मैंने । अगर वे थोड़ा सा इशारा भी कर देतीं तो उन्हें किसी अजनबी को बुलाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती और आज यह दिन भी नहीं देखना पड़ता । खुद भी जेल की हवा खा रही हैं और मुझे भी खिला रही हैं । सक्षम भैया ने उन्हें आपत्तिजनक हालत में देखा होगा तभी तो उन्होंने उस अजनबी राहुल का खून कर दिया । अब इसमें मैं कहां से फंस गया ? पर सोचने वाली बात यह है कि बैडशीट पर वीर्य के मेरे धब्बे कैसे पाये गये ? क्या इसके पीछे कोई  षड्यंत्र है ? यदि हां तो कौन है वह आदमी और वह मुझे क्यों फंसाना चाहता है" ? इसका उत्तर बहुत ढूंढने पर भी नहीं मिला था उसे । 

रात इसी तरह कटती थी तीनों की । दिमाग में एक ही बात घूमती रहती थी कि कैसे बाहर निकलें ? पर दूर दूर तक रोशनी की कोई किरण दिखाई नहीं दे रही थी । 

श्री हरि 
12.6.23 



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8 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 10:16 AM

Nice one

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:42 AM

💐💐🙏🙏

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वानी

17-Jun-2023 09:53 AM

बहुत खूब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

17-Jun-2023 11:38 AM

🙏🙏

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Abhinav ji

12-Jun-2023 09:09 AM

Very nice 👍

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Hari Shanker Goyal "Hari"

15-Jun-2023 06:51 PM

🙏🙏

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